मानवता से बढ़कर कोई धर्म नहीं है। दुनियां के तमाम धर्मो का सार यही है। सच्चे मन से मानव की सहायता, सेवा करने से मन को सच्ची शांति मिलती है। जो अनमोल है।
धृति, क्षमा, दम, अस्तेय (चोरी न करना), शौच, इन्द्रियनिग्रह, धी, विद्या, सत्य और अक्रोध- ये दस धर्म के लक्षण हैं।
मनुष्य में मनुष्यत्व का विकास इन्हीं धर्मों के आचरण से हो सकता है।
मानव सेवा का दूसरा नाम- मानव-धर्म है।
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