गुरुवार, 10 जनवरी 2013

गीता के उपदेश::गीता-सार

 क्यों व्यर्थ की चिंता करते हो? किससे व्यर्थ डरते हो? कौन तुम्हें मार सकता है? आत्मा ना पैदा होती है, न मरती है।

 जो हुआ, वह अच्छा हुआ, जो हो रहा है, वह अच्छा हो रहा है, जो होगा, वह भी अच्छा ही होगा।

तुम्हारा क्या गया ,जो तुम रोते हो? तुम  क्या लाये थे ,जो तुम ने खो दिया? तुमने क्या पैदा किया था ,जो नाश हो

 गया? न तुम कुछ लेकर आए थे , न कुछ लेकर जाओगे। जो लिया ,यहीं से लिया , जो दिया यहीं पर दिया ! खाली

 हाथ आए हो ,और खाली हाथ चले जाओगे !जो आज तुम्हारा है , कल  किसी और क़ा था ! परसों किसी और क़ा

 होगा।

 परिवर्तन संसार का नियम है।

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